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विषधर कालसर्प दोष: जाने दोष के दुष्प्रभाव और असरदार उपाय

हिन्दू ज्योतिष में विषधर कालसर्प दोष, कालसर्प दोष के 12 प्रकारों में से एक है। यह दोष तब बनता है जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, और राहु सप्तम भाव में तथा केतु प्रथम भाव में स्थित होता है। विषधर कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां लाता है, जिसके कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्या,सर्थिक समस्या,मानसिक स्थिति जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस दोष का नाम “विषधर” इसलिए रखा गया है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में विषाक्त हानिहकारक प्रभाव डालता है, यह दोष “विषधर” सर्प को दर्शाता है, जो जहरीला और खतरनाक होता है। यह दोष जीवन में नकारात्मकता, संघर्ष, और कठिनाइयों का प्रतीक है।

विषधर कालसर्प दोष के प्रभाव

विषधर कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह दोष विशेष रूप से वैवाहिक जीवन, मानसिक स्थिति, और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। जब राहु सप्तम भाव और केतु प्रथम भाव में स्थित होते हैं, तो इसका प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है। इसके मुख्य प्रभाव नीचे दिये हुए है :-

  • इस दोष के कारण पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद और असहमति रहती है। प्रेम संबंधों में विश्वास की कमी और धोखे का डर रहता है। विवाह के बाद तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • विषधर दोष के प्रभाव से व्यक्ति को अनावश्यक चिंताएं महसूस होती हैं। तथा निर्णय लेने में असमर्थता और मानसिक उलझन बनी रहती है।
  • इस दोष के नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी और नकारात्मक विचारों का प्रभाव बढ़ जाता है।
  • इस दोष का प्रमुख लक्षण यह है की व्यक्ति को व्यापार में हानि या नौकरी में अस्थिरता बनी रहती है। निवेश या साझेदारी में नुकसान की संभावना बनी रहती है।
  • विषधर कालसर्प दोष के कारण धन संचय करने में कठिनाई होती है, जिससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस दोष के प्रभाव से समाज में व्यक्ति की छवि खराब हो सकती है। रिश्तेदारों और मित्रों से मतभेद बढ़ सकते हैं। और भरोसेमंद लोगों के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं।
  • इस दोष का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है जिसके कारण व्यक्ति को सिरदर्द, और तनाव से संबंधित रोग हो सकते हैं। तथा मानसिक शांति का अभाव रहता है।

विषधर कालसर्प दोष के उपाय

शास्त्रों के अनुसार विषधर कालसर्प दोष के प्रभाव को शांत करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया जा सकता है। ये उपाय आध्यात्मिक, धार्मिक और कर्म आधारित होते हैं, जो दोष के प्रभाव को कम करके सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। ये उपाय निम्नलिखित है :-

  • भगवान शिव की पूजा आराधना विषधर कालसर्प दोष के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। नियमित रूप से शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।
  • नियमित रूप से “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।” मंत्र का 108 बार जाप करने से लाभ मिलता है।
  • विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करें। काले तिल, गुड़, और दूध से नाग प्रतिमा का पूजन करें। यह पूजा कालसर्प दोष को शांत करती है।
  • मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। और हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। इससे राहु और केतु के दुष्प्रभाव शांत होते हैं।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसे धारण करने से मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें और सात बार पेड़ की परिक्रमा करें और दीपक जलाएं। इससे शनि, राहु, और केतु की अशुभता कम होती है।
  • राहु और केतु से संबंधित वस्तुओं का दान करना लाभकारी होता है :- काले तिल, लोहे के सामान, नीले वस्त्र इत्यादि।

विषधर कालसर्प दोष निवारण पूजा

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार विषधर कालसर्प दोष निवारण पूजा विशेष प्रकार की धार्मिक विधि है, जो दोष निवारण के लिए प्रभावी मनी जाती है। यह पूजा भगवान शिव, नाग देवता और अन्य देवताओं की आराधना के माध्यम से दोष के प्रभाव को शांत करने के लिए की जाती है। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।

विषधर कालसर्प दोष पूजा का महत्व

विषधर कालसर्प दोष निवारण पूजा व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने में अत्यंत प्रभावी होती है। यह पूजा जीवन में आने वाली बाधाओं और दोषों को शांत कर सकारात्मकता का संचार करती है। ये प्रमुख रूप से लाभदायक है

  • राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को शांत किया जाता है।
  • जीवन में आने वाली बाधाओं और संघर्षों को दूर किया जाता है।
  • व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

विषधर कालसर्प दोष पूजा कैसे कराएं ?

विषधर कालसर्प दोष पूजा एक विशेष विधि से की जाने वाली धार्मिक प्रक्रिया है, जो भगवान शिव, नाग देवता, और राहु-केतु की पूजा के माध्यम से दोष के प्रभाव को शांत करती है। इस पूजा को सही तरीके से कराना जरूरी है, ताकि इसका पूर्ण लाभ मिल सकें। नीचे पूजा कराने की प्रक्रिया और आवश्यक जानकारी दी गई है। इस पूजा को त्र्यंबकेश्वर (नाशिक), उज्जैन, काशी, या अन्य पवित्र तीर्थस्थलों पर करना शुभ माना जाता है।

विषधर कालसर्प दोष पूजा कराने के लिए सही पंडित, शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। उज्जैन जैसे पवित्र स्थान पर पूजा कराना विशेष रूप से फलदायी होता है। आप योग्य पंडित से संपर्क करके या ऑनलाइन माध्यम से पूजा बुक कर सकते हैं। पूजा के बाद जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

पंडित सुरेश शर्मा जी को विभिन्न दोष निवारण पूजाओं का 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। पंडित से नीचे दिये गए नंबर के माध्यम से संपर्क करे और अपनी पूजा बुक करें :-

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