अगर किसी लड़के या लड़की की कुंडली मे विवाह संबन्धित दोष होता है और उनके विवाह मे बार बार परेशानी आती है तो उन्हे अर्क या कुम्भ विवाह पूजा करानी चाहिए। वैदिक पद्धति से उज्जैन मे अर्क विवाह पूजा या कुम्ब्भ विवाह पूजा सम्पन्न कराने हेतु अभी पंडित जी से संपर्क करे और पूजा खर्च, प्रक्रिया, समय व स्थान के बारे मे पूरी जानकारी ले।

अर्क विवाह क्या होता है?

जिस व्यक्ति के विवाह मे समस्याए उत्पन्न हो रही हो, या अकारण ही विलंब हो रहा हो तो इस प्रकार की समस्याओ को समाप्त करने के लिए उस पुरुष के विवाह से पूर्व अर्क वृक्ष जिन्हे सूर्य पुत्री के रूप मे पूजा जाता है, के साथ विवाह किया जाता है। इस प्रकार की पूजा से उस पुरुष के विवाह मे आ रही समस्त प्रकार की समस्याओ और दोषो से मुक्ति मिल जाती है। पुरुष के विवाह से पूर्व किए गए इस प्रकार के विवाह को अर्क विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है।   

अर्क कुम्भ विवाह पूजा

अर्क विवाह के फायदे

अर्क विवाह पूजा द्वारा पुरुष के विवाह मे आ रही सभी समस्याए और बाधाए समाप्त हो जाती है। अर्क विवाह पूजा पुरुषो की  कुंडली से मांगलिक दोष को समाप्त करने के लिए भी किया जाता है।  

अर्क विवाह किन पुरुषो का होना चाहिए?

किसी भी पुरुष की कुंडली मे मंगल प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव मे से किसी एक भाव मे हो तो इस प्रकार का योग विवाह मे विलंब, बाधा, विवाह के पश्चात कलह एवं वैवाहिक सुख मे कमी लाता है। पुरुष की कुंडली मे सप्तम या द्वादश भाव मे पाशविक गृह से पीड़ित हो या शुक्र, सूर्य, सप्तमेश और द्वादेश शनि गृह से वशीभूत हो तो ऐसे व्यक्ति के माता पिता या स्नेही जनको को व्यक्ति का अर्क विवाह करवाना चाहिए।

कुम्भ विवाह क्या होता है और क्यो किया जाता है?

किसी कन्या के विवाह मे समस्याए उत्पन्न हो रही हो, या अकारण ही विलंब हो रहा हो तो, इस प्रकार की समस्याओ को समाप्त करने के लिए उस कन्या के विवाह से पूर्व कन्या का विवाह घट ( कुम्भ ) जिसमे भगवान विष्णु की प्रतिमा रखी जाती है, के साथ किया जाता है। ऐसा करने से कन्या के विवाह मे आ रही सभी समस्याओ और दोषो से मुक्ति मिल जाती है। घट ( कुम्भ ) विवाह के पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति को जलाशय मे विशारचित कर कन्या का विवाह इच्छुक वर के साथ कर दिया जाता है। कन्या के विवाह से पूर्व किए गए इस प्रकार के विवाह को घट विवाह या कुम्भ विवाह के नाम से जाना जाता है। 

कुम्भ विवाह के फायदे

कुम्भ विवाह पूजा द्वारा स्त्रियो के विवाह मे आ रही सभी समस्याए और बाधाए समाप्त हो जाती है। उज्जैन मे कुम्भ विवाह पूजा कन्या की कुंडली से मांगलिक दोष को समाप्त करने के लिए किया जाता है। 

कुम्भ विवाह किन कन्याओ का किया जाता है?

किसी कन्या की कुंडली मे मंगल  प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, और द्वादश भाव मे से किसी एक भाव मे स्थित हो तो इस प्रकार का योग विवाह मे विलंब, बाधा, विवाह के पश्चात कलह और वैवाहिक सुख मे कमी वाला योग होता है। पुरुष की कुंडली मे सप्तम या द्वादश भाव मे पाशविक गृह से पीड़ित हो या शुक्र, सूर्य, सप्तमेश और द्वादेश शनि गृह से वशीभूत हो तो ऐसी कन्या के माता पिता या स्नेही जनो को कन्या के विवाह से पूर्व कन्या का घट विवाह या कुम्भ विवाह करवाना चाहिए।  

अर्क कुम्भ विवाह क्यो आवश्यक है?

  • किसी पुरुष और कन्या की कुंडली मे मंगल दोष हो।
  • किसी कन्या की कुंडली मे यदि वैधव्य दोष हो तो ऐसी कन्या का कुम्भ विवाह करना आवश्यक होता है। 
  • किसी कन्या या पुरुष की कुंडली मे तलाक या दो शादी हो। 
  • यदि किसी पुरुष ने दो शादिया की हो और दोनों ही पत्नियाँ मर चुकी हो और संबन्धित व्यक्ति यदि दोबारा शादी करना चाहता हो, तो ऐसे व्यक्ति का अर्क विवाह करना आवश्यक हो जाता है। 
  • कन्या या पुरुष की कुंडली मे दोहरा मांगलिक दोष हो। 

उज्जैन मे अर्क कुम्भ विवाह पूजा हेतु अभी संपर्क करे

पंडित सुरेश शर्मा  जी द्वारा अर्क कुम्भ विवाह पूजा उज्जैन हेतु वर्ष भर लोग आते है, और अपनी परेशानियों से मुक्ति पाते है, आप भी अगर किसी दोष से परेशान है और अपने बिगड़े काम बनाने हेतु उज्जैन मे पूजा करना चाहते है तो अभी पंडित जी से बात करे और निशुल्क परामर्श ले।