कालसर्प दोष कितने वर्षो तक रहता है?

कालसर्प दोष कितने साल तक रहता है? जाने प्रभाव और निवारण उपाय

कालसर्प दोष एक ऐसा ज्योतिषीय योग है जिसे प्रभावशाली और गंभीर दोष माना जाता है। जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच फंस जाते हैं, तब यह दोष बनता है। इसे सर्प योग भी कहा जाता है। बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि कालसर्प दोष कितने साल तक रहता है? तो उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से नीचे दिये नंबर पर संपर्क करें और पूरी जानकारी प्राप्त करें।

कालसर्प दोष कितने साल तक रहता है, यह व्यक्ति की कुंडली और जीवन के कर्मों पर निर्भर करता है। कालसर्प दोष जीवन भर रह सकता है, लेकिन 28-48 वर्ष की आयु में इसका प्रभाव चरम पर होता है। उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा, मंत्र जाप, और दान से इसकी अवधि और प्रभाव कुछ समय में कम और शांत हो सकते हैं।

कालसर्प दोष क्या है? जाने राहु-केतु की ज्योतिषीय स्थिति

कालसर्प दोष वैदिक ज्योतिष में एक विशेष ग्रह स्थिति है, जो तब बनती है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह दोष 12 प्रकार का होता है, जैसे अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल आदि, जो राहु-केतु की स्थिति पर निर्भर करते है। यह दोष वैवाहिक जीवन में देरी, दांपत्य कलह, संतान प्राप्ति में बाधा, स्वास्थ्य समस्याएं (जैसे मानसिक तनाव), और आर्थिक अस्थिरता लाता है।

शास्त्रों के अनुसार, यह दोष पूर्व जन्म के कर्मों, जैसे विश्वासघात या अनैतिक कार्यों, का परिणाम हो सकता है। यह दोष व्यक्ति को अनिर्णय, भय, और नकारात्मक ऊर्जा की ओर ले जाता है।

जन्म कुंडली में कालसर्प दोष कितने साल तक रहता है? जाने दोष की अवधि

जन्मकालीन कालसर्प दोष (Permanent Kaal Sarp Dosh)

अगर यह दोष जन्म के समय से कुंडली में बना हो, तो इसका असर पूरे जीवनकाल तक रह सकता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में बाधाएँ, रुकावटें और मानसिक तनाव तब तक बने रह सकते हैं जब तक वह विशेष पूजा या दोष निवारण उपाय न करा ले।

कुंडली आधारित अवधि

कालसर्प दोष जीवन भर रह सकता है, लेकिन इसकी तीव्रता राहु-केतु की दशा-अंतर्दशा पर निर्भर करती है। राहु की महादशा 18 वर्ष और केतु की 7 वर्ष तक चलती है। सामान्यतः, 28 से 48 वर्ष की आयु में यह दोष सबसे अधिक प्रभावी होता है, क्योंकि इस दौरान राहु-केतु की दशा या गोचर सक्रिय रहते हैं।

गोचरकालीन कालसर्प दोष (Transit-Based)

कभी-कभी राहु और केतु के गोचर (Transit) के समय कालसर्प दोष अस्थायी रूप से बनता है। इस स्थिति में यह दोष लगभग 18 महीने (डेढ़ साल) तक रहता है, यानी जब तक राहु और केतु अपनी स्थिति नहीं बदलती।

दशा/अंतर्दशा आधारित कालसर्प दोष

यदि आपकी कुंडली में राहु या केतु की दशा या अंतर्दशा चल रही हो, तो उस अवधि में यह दोष 3 से 5 साल तक प्रभावी रह सकता है। इस दौरान व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक उतार-चढ़ाव, रिश्तों में अस्थिरता और अचानक हानि जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

उपायों का प्रभाव

कालसर्प दोष पूजा (जैसे उज्जैन में) करने से दोष का प्रभाव 60-80% कम हो सकता है। और इसके नकारात्मक प्रभाव भी शांत हो जाते है। नियमित उपायों (मंत्र जाप, दान) से दोष की अवधि और तीव्रता कुछ समय में कम हो सकती है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

शास्त्रों के अनुसार, कालसर्प दोष पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम है। पूजा और कर्म सुधार से यह दोष पूरी तरह शांत हो सकता है, जिससे अवधि सीमित हो जाती है।

कालसर्प दोष के प्रभाव क्या है? इस दोष के प्रभाव कितने समय तक दिखाई देते हैं?

कालसर्प दोष के प्रभाव व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित करते हैं, जो इसकी अवधि की गंभीरता को दर्शाते हैं:

  • वैवाहिक जीवन: विवाह में देरी (30-35 वर्ष तक), दांपत्य कलह, या तलाक की स्थिति।
  • स्वास्थ्य: मानसिक तनाव, अवसाद, और रक्त या त्वचा संबंधी रोग।
  • करियर: नौकरी में अस्थिरता, अवसरों का छूटना, और शत्रु बाधा।
  • आर्थिक स्थिति: अप्रत्याशित खर्च, कर्ज, और संपत्ति विवाद।
  • आध्यात्मिक प्रभाव: कर्म बंधन, भय, और नकारात्मक ऊर्जा।

कालसर्प दोष का प्रभाव केवल ग्रह स्थिति पर नहीं, बल्कि व्यक्ति के कर्म और आचरण पर भी निर्भर करता है। अगर व्यक्ति नियमित रूप से पूजा-पाठ, दान, जप, और अच्छे कर्म करता है, तो यह दोष धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ जाता है। लेकिन अगर व्यक्ति नकारात्मक कार्यों में लगा रहता है, तो इसका प्रभाव वर्षों तक बना रह सकता है।

कालसर्प दोष से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है? जाने इसके उपाय

कालसर्प दोष के प्रभाव को कम या समाप्त करने के लिए कई पारंपरिक और आध्यात्मिक उपाय बताए गए हैं। इनमें से प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:

1. कालसर्प दोष निवारण पूजा

सबसे प्रभावी उपाय है कालसर्प दोष निवारण पूजा, जो विशेष रूप से उज्जैन में की जाती है। इस पूजा में भगवान शिव, नागदेवता और राहु-केतु की विशेष पूजा की जाती है। पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ राहवे नमः, ॐ केतवे नमः” मंत्रों का जाप किया जाता है।

यदि आप कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभावों से परेशान है तो आज ही उज्जैन में कालसर्प पूजा सम्पन्न कराएं और इस दोष से हमेशा के लिए छुटकारा पाएँ। अनुभवी पंडितों से संपर्क कर सकते हैं जो विधिविधान से पूजा संपन्न कराते हैं। यह पूजा आपके जीवन से दोषों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का मार्ग खोलती है।

2. महामृत्युंजय जाप

भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र कालसर्प दोष को शांत करने में अत्यंत प्रभावी माना गया है। रोजाना 108 बार इस मंत्र का जाप करने से दोष के प्रभाव में कमी आती है।

3. नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा

नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने और दूध अर्पित करने से राहु-केतु प्रसन्न होते हैं। इस पूजा से नाग देवता और भगवान शिव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है जिससे दोष शांति में लाभ मिलता है।

4. रुद्राभिषेक कराना

उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक कराना भी कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने वाला शक्तिशाली उपाय है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा बुकिंग कैसे करें?

यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है और जीवन में लगातार रुकावटें आ रही हैं, तो उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराना सबसे प्रभावी उपाय है। उज्जैन के पंडितों द्वारा की गई विधिवत पूजा आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें और आज ही अपनी पूजा की बुकिंग करें।

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