चंद्र राहु ग्रहण दोष पूजा

चंद्र-राहु ग्रहण दोष क्या है? कारण, लक्षण, नुकसान, उपाय और उज्जैन में पूजा का महत्व

चंद्र-राहु ग्रहण दोष क्या है? (What is Chandra Rahu Grahan Dosh)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा और राहु का योग किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है, तो इसे चंद्र-राहु ग्रहण दोष कहा जाता है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब चंद्रमा राहु के साथ एक ही भाव में स्थित होता है या राहु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ती है।
इस योग के कारण व्यक्ति के मन, भावनाओं, मानसिक स्थिरता और निर्णय लेने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है, जबकि राहु भ्रम, भटकाव और माया का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए जब ये दोनों ग्रह साथ आते हैं, तो मनुष्य के जीवन में भ्रम, अस्थिरता और मानसिक तनाव बढ़ जाता है।

चंद्र-राहु ग्रहण दोष के कारण (Causes of Chandra Rahu Grahan Dosh)

चंद्र-राहु ग्रहण दोष के बनने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. चंद्रमा और राहु का एक ही भाव में होना — जब जन्म कुंडली में चंद्रमा राहु के साथ संयोजन में आता है।
  2. राहु की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ना — राहु यदि चंद्रमा पर सीधी दृष्टि डालता है तो यह दोष बनता है।
  3. ग्रहण काल में जन्म लेना — यदि व्यक्ति का जन्म चंद्र ग्रहण के समय होता है तो यह दोष स्वतः कुंडली में बन जाता है।
  4. पिछले जन्म के कर्म — कई बार पिछले जन्म के अधूरे कर्म और मानसिक क्लेश इस दोष का कारण बनते हैं।

चंद्र-राहु ग्रहण दोष के लक्षण (Symptoms of Chandra Rahu Grahan Dosh)

इस दोष के प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार से प्रकट होते हैं। कुछ मुख्य लक्षण निम्न हैं:

  1. मानसिक तनाव और बेचैनी — व्यक्ति अक्सर बिना कारण घबराहट, डर या अवसाद महसूस करता है।
  2. निर्णय लेने में असमर्थता — मन स्थिर नहीं रहता, जिससे सही निर्णय लेना कठिन हो जाता है।
  3. अशुभ सपने और नींद की समस्या — नींद पूरी नहीं होती, डरावने सपने आते हैं।
  4. माता से मतभेद — चंद्रमा माता का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए मां के साथ संबंधों में तनाव होता है।
  5. करियर और शिक्षा में रुकावट — राहु भ्रम पैदा करता है जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्य से भटक जाता है।
  6. भावनात्मक अस्थिरता — छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा या उदासी आना।

चंद्र-राहु ग्रहण दोष के नुकसान (Effects or Ill-Effects of Chandra Rahu Grahan Dosh)

यदि इस दोष का समय पर निवारण नहीं किया जाए तो यह जीवन के अनेक क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है:

  1. स्वास्थ्य पर प्रभाव — मानसिक रोग, नींद की समस्या, अवसाद, उच्च रक्तचाप जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।
  2. वैवाहिक जीवन में तनाव — पति-पत्नी के बीच गलतफहमियां और भावनात्मक दूरी बढ़ सकती है।
  3. व्यवसायिक अस्थिरता — कार्य में अचानक हानि, निर्णय में भ्रम और आर्थिक संकट आ सकते हैं।
  4. संतान पक्ष में परेशानी — संतान सुख में बाधा या बच्चों के व्यवहार में अस्थिरता।
  5. भाग्य अवरुद्ध होना — लगातार मेहनत के बावजूद सफलता न मिलना।

चंद्र-राहु ग्रहण दोष से बचने के उपाय (Remedies of Chandra Rahu Grahan Dosh)

इस दोष को कम करने या समाप्त करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं:

1. रुद्राभिषेक करना

भगवान शिव की पूजा इस दोष को शांत करने का सबसे प्रभावी उपाय है। सोमवार के दिन रुद्राभिषेक पूजा करने से मन शांत होता है और राहु-चंद्र का दोष कम होता है।

2. महामृत्युंजय जाप

108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें —
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
यह जाप मानसिक स्थिरता देता है और चंद्रमा की शक्ति बढ़ाता है।

3. राहु शांति पूजा

राहु ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजन कराना चाहिए। यह व्यक्ति के जीवन में भ्रम और मानसिक तनाव को समाप्त करता है।

4. चंद्रमा को जल अर्पित करना

प्रत्येक सोमवार को चंद्रमा को कच्चे दूध और जल का अर्घ्य दें। इससे मानसिक शांति और स्थिरता आती है।

5. दान और सेवा

काले तिल, नीले कपड़े, सरसों का तेल और उड़द दान करना शुभ माना गया है। साथ ही गरीबों को भोजन कराना भी इस दोष को शांत करता है।

उज्जैन में चंद्र-राहु ग्रहण दोष निवारण पूजा (Chandra Rahu Grahan Dosh Nivaran Puja in Ujjain)

उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, प्राचीन काल से ही ग्रह दोषों के निवारण का सर्वोत्तम स्थल माना गया है। यहां के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और कर्क रेखा पर स्थित शक्तिपीठों की ऊर्जाएँ विशेष रूप से चंद्र और राहु ग्रहों को संतुलित करती हैं।

1. विशेष पूजा प्रक्रिया

उज्जैन में अनुभवी ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों से युक्त विशेष चंद्र-राहु ग्रहण दोष निवारण पूजा कराई जाती है।
इसमें रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, राहु शांति मंत्र और नवग्रह हवन सम्मिलित होते हैं।

2. पूजा का समय

यह पूजा विशेष रूप से सोमवार, अमावस्या या ग्रहण काल के बाद के दिनों में कराई जाती है।

3. पूजा का लाभ

  • मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  • करियर और आर्थिक बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • मां के साथ संबंध सुधरते हैं।
  • राहु और चंद्र दोनों ग्रहों का संतुलन स्थापित होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

चंद्र-राहु ग्रहण दोष एक गंभीर ज्योतिषीय योग है जो मन और जीवन दोनों को प्रभावित करता है। लेकिन उचित समय पर किए गए उपाय, मंत्र जाप और विशेष रूप से उज्जैन में संपन्न पूजा विधि इस दोष को पूरी तरह शांत कर सकती है।
यदि आपकी कुंडली में भी यह दोष है, तो अनुभवी पंडित से परामर्श लेकर उज्जैन में इस पूजा को अवश्य करवाएं। यह न केवल ग्रहों की स्थिति को संतुलित करेगा बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और सफलता भी लाएगा।

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