वास्तु दोष पूजा

वास्तु दोष क्या है?

जिस तरह से हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है उसी प्रकार हमारा घर भी पंचतत्वों से मिलकर बना होता प्रत्येक दिशा किसी एक तत्व को दर्शाती है। घर के उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो की जल तत्व को दर्शाती है, उत्तर-पश्चिम को वायव्य कोण कहा जाता है जो वायु तत्व को दर्शाती है,  दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो की अग्नि तत्व को दर्शाती है दक्षिण -पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण माना जाता है, जो अग्नि को दर्शाती है, घर के बीच के जो हिस्सा होता है उसे ब्रह्म कहा जाता है जो की आकाश तत्व को दर्शाती है। घर मे शांति और खुशहली के लिए इन सभी दिशाओ का दोष रहित होना जरूरी है। इन दिशाओ के दोष को दूर करने के लिए बहुत से उपाय होते है जिनमे से एक वास्तु दोष पूजा भी है। 

वास्तु दोष शांति पूजा

वास्तु दोष के प्रभाव

वास्तु दोष प्रभाव के कारण लोगो को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। वास्तु दोष का प्रभाव व्यक्ति पर शारीरिक या मानसिक दोनों रूप से पड़ता है। 

1. बार बार धन की हानि होना। 

2. काम मे सफलता न मिल पाना।

3. कभी भी ताजा महसूस नहीं होता है। 

4. परिवार मे चिंता और झगड़े का माहौल होना। 

5. सदैव किसी न किसी रोग से घिरे रहना। 

 

वास्तु दोष को दूर करने के उपाय

1. कलश की स्थापना- वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर उत्तर-पूर्वी कोने मे कलश स्थापना करना लाभदायक माना गया है ध्यान रहे की जिस कलश की स्थापना करे वह कही से खंडित न हो। हिन्दू धर्म मे कलश को भगवान गणेश जी का रूप माना गया है और गणेश जी विघ्‍नहर्ता और सुखकर्ता के रूप मे पूजे जाते है। घर के सभी कार्य कलश स्थापना के बाद बिना किसी परेशानी और बाधा के पूर्ण हो जाते है। 

2. हल्दी जल या गंगाजल- वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर उत्तर-पूर्वी कोने मे कलश स्थापना करना लाभदायक माना गया है ध्यान रहे की जिस कलश की स्थापना करे वह कही से खंडित न हो। हिन्दू धर्म मे कलश को भगवान गणेश जी का रूप माना गया है और गणेश जी विघ्‍नहर्ता और सुखकर्ता के रूप मे पूजे जाते है। घर के सभी कार्य कलश स्थापना के बाद बिना किसी परेशानी और बाधा के पूर्ण हो जाते है। 

3. रसोई घर मे बल्ब- वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर उत्तर-पूर्वी कोने मे कलश स्थापना करना लाभदायक माना गया है ध्यान रहे की जिस कलश की स्थापना करे वह कही से खंडित न हो। हिन्दू धर्म मे कलश को भगवान गणेश जी का रूप माना गया है और गणेश जी विघ्‍नहर्ता और सुखकर्ता के रूप मे पूजे जाते है। घर के सभी कार्य कलश स्थापना के बाद बिना किसी परेशानी और बाधा के पूर्ण हो जाते है। 

4. स्वास्तिक- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल ही चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाए ऐसा करने से सभी तरफ से आ रही नकारात्मक ऊर्जा तो समाप्त होती ही है साथ ही वास्तु दोष भी खत्म हो जाता है। 

5. सुंदरकाण्ड या रामचरितमानस का पाठ- समय समय पर आपको घर मे सुंदरकाण्ड या रामचरितमानस का पाठ करवाना चाहिए ऐसा करने से घर मे सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। 

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पंडित सुरेश शर्मा जी द्वारा उज्जैन मे वास्तु शांतिदोष पुजा हेतु वर्ष भर लोग आते है और अपनी परेशानियों से मुक्ति पाते है, आप भी अगर किसी दोष से परेशान है और अपने बिगड़े काम बनाने हेतु उज्जैन मे पूजा करवाना चाहते है तो अभी पंडित जी से बात करे और निशुल्क परामर्श ले।