उज्जैन के प्रतिष्ठित अनुभवी पंडित सुरेश शर्मा जी पिछले 21+ वर्षों से गुरु चांडाल योग सहित अनेक ज्योतिषीय दोषों की शांति पूजा उज्जैन मे संपन्न कराते आ रहे हैं। यदि आप भी उज्जैन में गुरु चांडाल योग शांति पूजा बुक करना चाहते है तो अभी नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और निशुल्क परामर्श ले।
किसी भी व्यक्ति की कुंडली उसके जन्म के समय ग्रहो की स्थिति को देख कर बनाई जाती है। जन्मकुंडली मे कई प्रकार के योग बनते है, यह योग अच्छे भी होते हे और बुरे भी। इन्ही मे से एक गुरु चांडाल दोष भी होता है। ज्योतिष के अनुसार, जब देव गुरु बृहस्पति राहु-केतु के साथ युति करते हैं तो इससे अशुभ गुरु चांडाल दोष का योग बनता है।
यह योग बहुत ही विनाशकरी होता है, क्योकि इस अशुभ योग के बनने से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है। साथ ही हम आपको यह भी बता देते हे कि, गुरु चांडाल दोष कुंडली में गुरु लग्न पंचम, सप्तम, नवम और दशम भाव का स्वामी चांडाल योग बनाता है।
जब व्यक्ति की कुंडली में गुरु चंडाल योग देखा जाता है तो व्यक्ति को सफलताओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है, धन की कमी उत्पन्न हो जाती है, व्यक्ति निराशा और नकारात्मकता से घिर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में ‘गुरु चांडाल’ योग को अत्यंत अशुभ योग मना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ‘गुरु चांडाल’ योग होता है, उसे शिक्षा, जॉब, बिजनेस, शादी विवाह आदि में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। यदि आप इन परेशानियों से छुटकारा चाहते है तो आज ही गुरु चांडाल दोष शांति पूजा कराये और अपने जीवन को शांतिपूर्ण बनाएँ।
यदि आपकी कुंडली में यह योग है, तो निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
निर्णयों में लगातार डर या असफलता
आध्यात्मिकता की गलत दिशा में झुकाव
धार्मिक कर्तव्यों से दूरी
गुरुजनों और बड़ों से टकराव
नौकरी या व्यवसाय में धोखा या घाटा
शिक्षा में बाधा
सामाजिक मान-सम्मान में गिरावट
नीचे दिए गए उपायों की मदद से आप सिर्फ गुरु चांडाल दोष के बुरे प्रभावों को कम कर सकते हो।
यदि आप भी अपने दैनिक जीवन कई प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे है तो अवश्य ही अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाये और पता करे कहि आपकी कुंडली मे भी गुरु चांडाल दोष तो नहीं है। अगर यह दोष आपकी कुंडली मे परिलक्षित होता है तो इसके परिणाम काफी खतरनाक हो सकते है और इस दोष के चलते हुए आप हमेशा उलझनों मे हि उलझे रहेंगे।
गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसकी मदद से आप गुरु चांडाल जैसे खतरनाक दोष से आसानी से छुटकारा पा सकते है। इस पूजा के सम्पन्न होते ही आप अपने दैनिक जीवन मे सुख व समृद्धि का अनुभव ले सकते है। गुरु चांडाल की पूजा के लिए उज्जैन बहुत ही सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता है।
यदि आपको गुरु चांडाल दोष को लेकर मन किसी भी प्रकार का संकोच है तो आप बिना देरी करे उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य सुरेश शर्मा जी को अपनी कुंडली दिखाकर मुफ्त मे परामर्श और गुरु चांडाल दोष की सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है।
उज्जैन में गुरु चांडाल दोष पूजा विधिवत रूप से सम्पन्न करायी जाती है, इस पूजा की विधि निम्नानुसार है:
संकल्प एवं गोत्र उच्चारण – पूजा की शुरुआत में व्यक्ति का नाम, गोत्र और उद्देश्य लिया जाता है।
गुरु ग्रह की शांति हेतु मंत्र जाप – विशेष ब्रह्म संहिताओं का पाठ और गुरु बीज मंत्रों का जाप किया जाता है।
राहु/केतु की शांति के लिए हवन – विशेष रूप से राहु-केतु से संबंधित हवन सामग्री से यज्ञ किया जाता है।
गुरु-राहु/केतु ग्रहों के यंत्र स्थापना और पूजन – स्वर्ण/ताम्र यंत्रों की प्रतिष्ठा कर ग्रहों की कृपा प्राप्त की जाती है।
दान और ब्राह्मण भोज – पूजा के बाद ब्राह्मणों को दान देना आवश्यक होता है, जिससे पूर्ण फल प्राप्त होता है।
उज्जैन सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धाम है, जहाँ काल और कर्म दोनों पर विजय पाने की शक्ति है। उज्जैन में की गई पूजा न सिर्फ दोष निवारण में सहायक है, बल्कि जीवन में नये मार्ग भी खोलती है।
यहाँ के विद्वान पंडित वैदिक विधि अनुसार गुरु-राहु/केतु की शांति, यंत्र स्थापना, विशेष हवन और महामृत्युंजय जाप आदि के माध्यम से गुरु चांडाल योग का निवारण करते हैं।
मानसिक स्पष्टता और निर्णय क्षमता में वृद्धि
शिक्षा और करियर में स्थिरता
आध्यात्मिकता की सही दिशा में विकास
सामाजिक मान-सम्मान की पुनः प्राप्ति
जीवन में संतुलन और शांति की अनुभूति
गुरु ग्रह की कृपा और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त
पंडित सुरेश शर्मा जी द्वारा उज्जैन मे गुरु चांडाल दोष निवारण पूजा हेतु वर्ष भर लोग आते है और अपनी परेशानियों से मुक्ति पाते है, आप भी अगर किसी दोष से परेशान है और अपने बिगड़े काम बनाने हेतु उज्जैन मे पूजा करना चाहते है तो अभी पंडित जी से बात करे और निशुल्क परामर्श ले।
हाँ, यह दोष केवल जन्मकुंडली के विश्लेषण से ही सही तरह से पहचाना जा सकता है। जब बृहस्पति ग्रह राहु या केतु के साथ एक ही भाव में होते हैं या उनकी दृष्टि गुरु पर पड़ती है, तभी यह दोष बनता है।
गुरु पुष्य योग, गुरुवार, पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति के शुभ दिन पर यह पूजा कराना प्रभावी मनी जाती है।
पूजा के दौरान मुख्यतः ये मंत्र पढ़े जाते हैं:
गुरु बीज मंत्र: “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।”
राहु बीज मंत्र: “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।”
केतु बीज मंत्र: “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः।”
पूजा के दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो केवल फलाहार करें।